Subscribe

RSS Feed (xml)

"आमंत्रण" ---- `बालसभा’ एक अभियान है जो भारतीय बच्चों के लिए नेट पर स्वस्थ सामग्री व जीवनमूल्यों की शिक्षा हिन्दी में देने के प्रति प्रतिबद्ध है.ताकि नेट पर सर्फ़िंग करती हमारी भावी पीढ़ी को अपनी संस्कृति, साहित्य व मानवीयमूल्यों की समझ भी इस संसाधन के माध्यम से प्राप्त हो व वे केवल उत्पाती खेलों व उत्तेजक सामग्री तक ही सीमित न रहें.कोई भी इस अभियान का हिस्सा बन सकता है, जो भारतीय साहित्य से सम्बन्धित सामग्री को यूनिकोड में टंकित करके ‘बालसभा’ को उपलब्ध कराए। इसमें महापुरुषों की जीवनियाँ, कथा साहित्य व हमारा क्लासिक गद्य-पद्य सम्मिलित है ( जैसे पंचतंत्र, कथा सरित्सागर, हितोपदेश इत्यादि).

रविवार, 13 जून 2010

हम बच्चे मज़दूर के











चन्दा मामा दूर के

-डॉ० अश्वघोष 




चन्दा मामा दूर के

छिप-छिप कर खाते हैं हमसे

लड्डू मोती चूर के




लम्बी-मोटी मूँछें ऍंठे

सोने की कुर्सी पर बैठे

धूल-धूसरित लगते उनको

हम बच्चे मज़दूर के

चन्दा मामा दूर के।





बातें करते लम्बी-चौड़ी

कभी न देते फूटी कौड़ी

डाँट पिलाते रहते अक्सर

हमको बिना कसूर के

चन्दा मामा दूर के। 



मोटा पेट सेठ का बाना

खा जाते हम सबका खाना

फुटपाथों पर हमें सुलाकर

तकते रहते घूर के

चन्दा मामा दूर के। 


Related Posts with Thumbnails