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"आमंत्रण" ---- `बालसभा’ एक अभियान है जो भारतीय बच्चों के लिए नेट पर स्वस्थ सामग्री व जीवनमूल्यों की शिक्षा हिन्दी में देने के प्रति प्रतिबद्ध है.ताकि नेट पर सर्फ़िंग करती हमारी भावी पीढ़ी को अपनी संस्कृति, साहित्य व मानवीयमूल्यों की समझ भी इस संसाधन के माध्यम से प्राप्त हो व वे केवल उत्पाती खेलों व उत्तेजक सामग्री तक ही सीमित न रहें.कोई भी इस अभियान का हिस्सा बन सकता है, जो भारतीय साहित्य से सम्बन्धित सामग्री को यूनिकोड में टंकित करके ‘बालसभा’ को उपलब्ध कराए। इसमें महापुरुषों की जीवनियाँ, कथा साहित्य व हमारा क्लासिक गद्य-पद्य सम्मिलित है ( जैसे पंचतंत्र, कथा सरित्सागर, हितोपदेश इत्यादि).

सोमवार, 7 जुलाई 2008

प्यार



प्यार
-ऋषभ देव शर्मा





उस दिन मैंने फूल को छुआ
सहलाया और सूँघा,
हर दिन की तरह
उसकी पंखुडियों को नहीं नोंचा.
उस दिन पहली बार मैंने सोचा
फूल को कैसा लगता होगा
जब हम नोंचते है
उसकी एक-एक पंखुड़ी.
तब मैंने फूल को
फिर छुआ
फिर सहलाया
फिर सूँघा...
और मुझे लगा
हवाएं महक उठीं
प्यार की खुशबू से.

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