प्यार
-ऋषभ देव शर्मा
उस दिन मैंने फूल को छुआ
सहलाया और सूँघा,
हर दिन की तरह
उसकी पंखुडियों को नहीं नोंचा.
उस दिन पहली बार मैंने सोचा
फूल को कैसा लगता होगा
जब हम नोंचते है
उसकी एक-एक पंखुड़ी.
तब मैंने फूल को
फिर छुआ
फिर सहलाया
फिर सूँघा...
और मुझे लगा
हवाएं महक उठीं
प्यार की खुशबू से.
सोमवार, 7 जुलाई 2008
प्यार
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