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"आमंत्रण" ---- `बालसभा’ एक अभियान है जो भारतीय बच्चों के लिए नेट पर स्वस्थ सामग्री व जीवनमूल्यों की शिक्षा हिन्दी में देने के प्रति प्रतिबद्ध है.ताकि नेट पर सर्फ़िंग करती हमारी भावी पीढ़ी को अपनी संस्कृति, साहित्य व मानवीयमूल्यों की समझ भी इस संसाधन के माध्यम से प्राप्त हो व वे केवल उत्पाती खेलों व उत्तेजक सामग्री तक ही सीमित न रहें.कोई भी इस अभियान का हिस्सा बन सकता है, जो भारतीय साहित्य से सम्बन्धित सामग्री को यूनिकोड में टंकित करके ‘बालसभा’ को उपलब्ध कराए। इसमें महापुरुषों की जीवनियाँ, कथा साहित्य व हमारा क्लासिक गद्य-पद्य सम्मिलित है ( जैसे पंचतंत्र, कथा सरित्सागर, हितोपदेश इत्यादि).

गुरुवार, 1 मई 2008

खट्टे अंगूर --- डा.किशोर काबरा

खट्टे अंगूर

----डा. किशोर काबरा
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एक लोमड़ी भूखी प्यासी

चली ढूंढने खाना

दिन भर घूमी इधर उधर पर

मिला न उसको दाना

एक बाग़ में चलते चलते

निकल गई वह दूर

देखा उसने लटक रहे हैं

बडे़ बड़े अंगूर

पके पके अंगूर देख कर

मुंह में आया पानी

उछल कूद कर लगी पकड़ने

उन्हें लोमड़ी रानी

मगर बड़ी ऊंचाई पर थे

अंगूरों के गुच्छे

मीठे मीठे प्यारे प्यारे

मोती जैसे अच्छे

आखिर उनको पकड़ न पाई

हो गई थक कर चूर

जाते जाते बोली कितने

खट्टे हैं अंगूर

---प्रस्तुति; योगेन्द्र मौदगिल

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