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"आमंत्रण" ---- `बालसभा’ एक अभियान है जो भारतीय बच्चों के लिए नेट पर स्वस्थ सामग्री व जीवनमूल्यों की शिक्षा हिन्दी में देने के प्रति प्रतिबद्ध है.ताकि नेट पर सर्फ़िंग करती हमारी भावी पीढ़ी को अपनी संस्कृति, साहित्य व मानवीयमूल्यों की समझ भी इस संसाधन के माध्यम से प्राप्त हो व वे केवल उत्पाती खेलों व उत्तेजक सामग्री तक ही सीमित न रहें.कोई भी इस अभियान का हिस्सा बन सकता है, जो भारतीय साहित्य से सम्बन्धित सामग्री को यूनिकोड में टंकित करके ‘बालसभा’ को उपलब्ध कराए। इसमें महापुरुषों की जीवनियाँ, कथा साहित्य व हमारा क्लासिक गद्य-पद्य सम्मिलित है ( जैसे पंचतंत्र, कथा सरित्सागर, हितोपदेश इत्यादि).

शनिवार, 7 अगस्त 2010

प्रकाश सूर्य से पृथ्वी तक कितने समय में और कैसे पहुँचता है?

मौलिक विज्ञानलेखन 

गतांक से आगे 
प्रकाश सूर्य से पृथ्वी तक कितने समय में और कैसे पहुँचता है?
विश्वमोहन तिवारी (भू.पू. एयर वाईस मार्शल) 




प्रकाश का वेग अनंत नहीं है जैसा कि प्राचीन काल में समझा जाता था। यह सच है कि उसका वेग हमारे लिये अकल्पनीय रूप से अधिक है, सामान्य घटनाओं के लिये अनंत-सा ही है - शून्य में प्रकाश का वेग ३ लाख कि.मी. प्रति सै. है। और प्रकाश का एक गुण बहुत ही विचित्र है। यदि हम एक बहुत तीव्र राकैट में बैठ कर जा रहे हों जिसका वेग १ लाख कि.मी. प्रति सैकैण्ड है, और हम उसमें एक टार्च से प्रकाश सामने की ओर फ़ेंकें तब उस प्रकाश का वेग ४ लाख कि. मी. प्रति सैकैण्ड न होकर ३ लाख कि. मी. प्रति सैकैण्ड ही रहेगा। और यदि उस राकैट से हम प्रकाश पीछे की ओर फ़ेंकें, तब भी उसका वेग २ लाख कि.मी. प्रति सैकैण्ड न होकर वही ३ लाख कि. मी. प्रति सैकैण्ड होगा।




पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती‌ है और उसका परिपथ वृत्ताकार न होकर दीर्घवृत्तीय - अंडाकार – है। अर्थात पृथ्वी की सूर्य से दूरी वर्ष भर बदलती रहती है। (आप यह बतलाएँ कि पृथ्वी सूर्य के अधिक निकट गर्मी की ऋतु में होती‌ है या शीतऋतु में।) अतएव प्रकाश के सूर्य से पृथ्वी तक आने की अवधि भी वर्ष भर बदलती रहती है। ऐसी स्थिति में हम औसत दूरी का सहारा लेते हैं जो हमें उस अवधि का एक औसत या मानक मान देती‌ है ।



पृथ्वी की सूर्य से औसत दूरी 15 करोड कि.मी. है। खगोल की‌ बात तो छोडें, सौर मंडल में ही दूरियां इस दूरी की लाखों गुनी हो सकती हैं । अत:ऐसी‌ लम्बी दूरियों के लिये इस सूर्य -पृथ्वी की दूरी को एक 'खगोलीय इकाई' (एस्ट्रानामिकल यूनिट) ए.यू. मानकर उसे सम्मान दिया गया है। सूर्य के गुरुत्व बल की सीमा लगभग १२५,०००x १५ करोड़ कि. मी. है, अर्थात् १२५००० ए.यू है ।



१५ करोड़ की इस दूरी को तय करने में प्रकाश को ५०० सैकैंड ( ८ मिनिट ३३ सै.) लगते हैं. हम यह भी कह सकते हैं कि सूर्य पृथ्वी से ५०० सै. दूरी पर है. अंतरिक्ष की और भी लम्बी दूरियों को दर्शाने के लिए हम 'प्रकाश वर्ष' की इकाई का उपयोग करते हैं, जो वह दूरी है जो प्रकाश ३ लाख कि.मी. प्रति सै. के वेग से एक वर्ष में तय करता है!! मोटे तौर पर, १ प्रकाश वर्ष ९ लाख करोड़ कि.मी. के बराबर होता है। सौर मंडल का निकटतम तारा प्राक्सिमा सैंटारी है जो ४.२ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है।




यह ५०० सै. की दूरी प्रकाश की तरंग शून्य में से संचरण कर आती है. यद्यपि प्रकाश एक तरंग है, उसे किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं. वैसे प्रकाशकणों, जिऩ्हें फ़ोटान कहते हैं, का प्रवाह भी है। वह तरंग तथा कण दोनों है।



यह कैसे हो सकता है?

क्रमशः

18 टिप्पणियाँ:

Ashish Shrivastava ने कहा…

यदि सूरज अचानक गायब हो जाए तो हमे उसका पता पुर साढ़े आठ मिनिट बाद चलेगा !

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

अच्छी जानकारी। हमें अब तक मोटा-मोटी आठ मिनट याद था अब इसे सुधार कर 500 सैकंड कर लिया है।

दीनदयाल शर्मा ने कहा…

अच्छी जानकारी दे रहे हैं आप...बधाई..इन्द्रधनुष के बारे में भी बताएं ..

दीनदयाल शर्मा ने कहा…

apke blog ko maine apne blog men link kar rakha hai..kabhi hamare blog par bhi ayen... deendayalsharma.blogspot.com

beena ने कहा…

मैंने तो यह जानकारी अपने प्रयास केबच्चों संग बाँट ली | वास्तव में बाल्गोपालों के लिए यही विज्ञान सार्थक है |

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

कित्ती अच्छी जानकारी मिली यहाँ आकर...
____________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.

rajeev rawat ने कहा…

कृपया श्री वी एम तिवारी ( भू पू एयर मार्शल ) का संपर्क सूत्र देने का कष्ट करें , मुझे उनसे बात करनी है ।
धन्यवाद

डॉ राजीव रावत
हिंदी अधिकारी
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान
खड़गपुर 721302
9564156315

Unknown ने कहा…

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Vinay Singh ने कहा…

Ham ye kaise pata krte hai ki suraj ka Parkash 500 second me earth per ata hai,, kyo ki suraj ka Parkash to hamesha earth per reheta hai kisi na kisi bhag per.. fir Parkash dobara kaise aata hai plz mujhe batayen Parkash wapas to kabhi nhi jata hai

Unknown ने कहा…

Sir ashman me tare hote hai to phir dharti par rat me andhera kio rahta hai

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