बच्चे : विविध रूप
Paintings - Jim Daly
बाल सुलभता पर मुग्ध हो कर कला के जाने कितने प्रतिमान विविध रूपों में रचे गए हैं। सूरदास की रचनाओं से लेकर 'ठुमक चलत रामचंद्र' तक के कई मनोहारी चित्र इसी प्रकार हिन्दी पट्टी वालों के मन-मस्तिष्क पर अंकित होंगे।यही स्थिति न्यूनाधिक अन्य अभिव्यक्ति माध्यमों की है।
चित्रकारों ने भी अपनी तूलिका से जाने कितनी व कैसी-कैसी सुंदर कृतियाँ रची हैं जो बाल्यकाल के सुंदर खाके खींचने में अपना सानी नहीं रखतीं.
इसी बचपन को रंगों व अपनी पेंटिंग्स में उतारने का भावुक प्रयास Jim Daly की तूलिका ने भी किया है. आज उनकी आँख से बच्चों को चित्रबद्ध देखते हैं ---
1 टिप्पणियाँ:
sachmuch mohak.
yah prastuti atyant sarjanaatmak ban padee hai.
dhanyavaad.
एक टिप्पणी भेजें
आपका एक-एक सार्थक शब्द इस अभियान व प्रयास को बल देगा. मर्यादा व संतुलन, विवेक के पर्याय हैं और उनकी सराहना के शब्द मेरे पास नहीं हैं;पुनरपि उनका सत्कार करती हूँ|आपके प्रतिक्रिया करने के प्रति आभार व्यक्त करना मेरा नैतिक दायित्व ही नहीं अपितु प्रसन्नता का कारण भी है|पुन: स्वागत कर हर्ष होगा| आपकी प्रतिक्रियाएँ मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं।