माँ ने मुझसे एक रोज़ कहा था
माँ ने मुझसे एक रोज़ कहा था,
करता चल सबसे राम-राम!
यश पाएगा दुनिया में तू,
राम करेंगे तेरे सब काम!!
खुद केलिए सभी जीते हैं,
तू औरों के हित अब जीले!
अमृत चाहेगी यह दुनिया,
तू दुनिया भर का विष पीले!!
जिस ने जग का विष पी डाला,
शंकर वही बना अभिराम!
माँ ने मुझसे एक रोज़ कहा था,
करता चल सबसे राम-राम!!
स्वर्ग एक कल्पना ह्रदय की,
पा सकता है अपने अन्दर!
जिस दिन जीतेगा तू खुद को,
बन जाएगा पूर्ण सिकंदर!!
मेरी गोद में है सब पगले!
जो तू ढूंढें सुबहो-शाम!
यश पाएगा दुनिया में तू,
राम करेंगे तेरे सब काम!!
ईश्वर को उसने ही पाया,
जिस ने मुझको देखा जग में!
माँ की उंगली पकड़ चला जो,
कभी नहीं भटका वो मग में!!
चलना ही जीवन है पगले!
चल गंगा-जल सा अविराम!
यश पाएगा तू दुनिया में,
राम करेंगे तेरे सब काम!!
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डा.योगेन्द्र नाथ शर्मा"अरुण",डी.लिट.
पूर्व प्राचार्य,
७४/३, न्यू नेहरु नगर,रूडकी-247667
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6 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर रचना..आभार पढ़वाने का.
मां ने बिल्कुल सही कहा था
सुंदर रचना.
धन्यवाद.
(काली पृष्ठभूमि पर लाल शब्द पढ़ना मुश्किल होता है. हलके रंग का फॉण्ट ज्यादा अच्छा होता!)
जीवन की राह आसान करती माँ की सदैव अपने बच्चों को हर हाल में रहकर भी अपने आशीर्वाद से बंचित नहीं रखती ..... माँ जैसा भला और जग में कौन होगा ..
कविता पढ़कर बहुत अच्छा लगा ...
हार्दिक शुभकामनाएँ ..
बहुत प्यारा गीत है..मजा आ गया पढ़कर.
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पाखी की दुनिया में इस बार चिड़िया-टापू की सैर !!
bahut achchi rachna.
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