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"आमंत्रण" ---- `बालसभा’ एक अभियान है जो भारतीय बच्चों के लिए नेट पर स्वस्थ सामग्री व जीवनमूल्यों की शिक्षा हिन्दी में देने के प्रति प्रतिबद्ध है.ताकि नेट पर सर्फ़िंग करती हमारी भावी पीढ़ी को अपनी संस्कृति, साहित्य व मानवीयमूल्यों की समझ भी इस संसाधन के माध्यम से प्राप्त हो व वे केवल उत्पाती खेलों व उत्तेजक सामग्री तक ही सीमित न रहें.कोई भी इस अभियान का हिस्सा बन सकता है, जो भारतीय साहित्य से सम्बन्धित सामग्री को यूनिकोड में टंकित करके ‘बालसभा’ को उपलब्ध कराए। इसमें महापुरुषों की जीवनियाँ, कथा साहित्य व हमारा क्लासिक गद्य-पद्य सम्मिलित है ( जैसे पंचतंत्र, कथा सरित्सागर, हितोपदेश इत्यादि).

गुरुवार, 29 मई 2008

पर हम अंधे होकर करते उसका दोहन-शोषण





्रकृति
- ऋषभ देव शर्मा



प्रकृति हमारा पालन करती करती सचमुच पोषण
पर हम अंधे होकर करते उसका दोहन-शोषण।

पेड़ कट गए, चिडियाँ गायब नहीं कबूतर मिलते
अब तो सिंथेटिक पौधों पर गुलाब नकली खिलते.

चलो प्रकृति की ओर चलें अब सब नदियों को जोडें।
पेड़ लगाएं, फूल खिलायें राम सेतु ना तोडें।

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