किससे क्या सीखें
--डॉ. विश्वनाथ शुक्ल
--डॉ. विश्वनाथ शुक्ल
चिड़ियों से सीखेंगें हम सब बड़े सवेरे जगना
सूरज से सीखेंगें आलस छोड़ काम में लगना
धरती से सीखेंगें सुख दुख एक भाव से सहना
पर्वत से सीखेंगें तूफ़ानों में अविचल रहना
नदियों से सीखेंगें हरदम आगे बढ़ते जाना
आंधी से सीखेंगें बाधाऒं से लड़ते जाना
चींटी से सीखेंगें हम सब अनुशासन में चलना
पेड़ों से सीखेंगें सबके लिये फूलना फलना
मधुमक्खी से सीखेंगें हम अथक परिश्रम करना
फूलों से सीखेंगें हंसना मधुर गंध से भरना
जिसमें जो कुछ अच्छा है हम उससे वह सीखेंगें
हम भारत के लाल चमकते हुए अलग दीखेंगें
सूरज से सीखेंगें आलस छोड़ काम में लगना
धरती से सीखेंगें सुख दुख एक भाव से सहना
पर्वत से सीखेंगें तूफ़ानों में अविचल रहना
नदियों से सीखेंगें हरदम आगे बढ़ते जाना
आंधी से सीखेंगें बाधाऒं से लड़ते जाना
चींटी से सीखेंगें हम सब अनुशासन में चलना
पेड़ों से सीखेंगें सबके लिये फूलना फलना
मधुमक्खी से सीखेंगें हम अथक परिश्रम करना
फूलों से सीखेंगें हंसना मधुर गंध से भरना
जिसमें जो कुछ अच्छा है हम उससे वह सीखेंगें
हम भारत के लाल चमकते हुए अलग दीखेंगें
( प्रस्तुति सहयोग: योगेन्द्र मौदगिल )
2 टिप्पणियाँ:
जिसमें जो कुछ अच्छा है हम उससे वह सीखेंगें
--बिल्कुल सही.
जी, धन्यवाद समीर जी!
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